मना धर नामस्मरणि गोडी |
मना धर नामस्मरणि गोडी |
चित्त हे जगदंबापदि जोडी। |
|
सोडुनि हे तूं हाव सुखाची |
धन सुत कांता वपु तव घडिची |
सवय लागु दे तुज नामाची |
सार्थक होईल कुडी |
मनाधर नामस्मरणि गोडी। |
|
जे तुज दिसते नश्र्व सारे |
अवधि माया जग व्यापुनि रे |
कच्छपि निज तुज भ्रमवि पुरी रे |
संपवि जीवन घडी |
मनाधर नामस्मरणि गोडी। |
|
परमेश्वचे दर्शन नामी |
नित घे नामा सोडुनि दे मी |
जीवन सार्थक होईल नामी |
स्मर अंबा घडि घडि |
मनाधर नामस्मरणि गोडी। |
|
आवड नव नामाची होता |
घेशिल ते तूं येता जाता |
स्वप्नि जागृति आणि झोपता |
रंगुनिया आवडी |
मनाधर नामस्मरणि गोडी। |
|
भाव शुध्द परी ठेव मना तू |
जगदंबसी शरण जाई तू |
कृतार्थ होशिल वेळ परंतु |
स्मर अंबा हरघडि |
मनाधर नामस्मरणि गोडी। |
|
वक्रतुंड म्हणविसी तू वदनि कोटी सूर्यप्रभा |
वक्रतुंड म्हणविसी तू वदनि कोटी सूर्यप्रभा |
विघ्नरहित करी मज तू आशीर्वच देई शुभा |
गणनायक तु गणपति देई मजसी विपुल मती |
करण्या तव स्तवन स्तुती दे अपार मज स्फूर्ति |
विघ्नेश्वर गिरीजासुन इष्ट करिसि नित अमित |
सुरवरही तुज सेवित सर्वकाळि विनययुता |
व्यापुनी तूं सर्व जगत ओंकारी तव स्वरूप |
निजभक्ता तूं अंकित होसी माय बापा |
तव चरणि शरण लीन श्री गणेश गजवदना |
कृपाहस्त दीर्घ करुन कर पावन गजानना |